अगर आप android application development सीखना चाहते हैं, तो आपको इसके मूलभूत सिद्धांतों (Fundamentals) को समझना जरूरी है। नीचे हम android development के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
Android एक open-source मोबाइल operating system है, जिसे Google ने विकसित किया है। यह Linux Kernel पर आधारित है और मुख्य रूप से टचस्क्रीन devices (जैसे smartphone, tablet) के लिए design किया गया है।
Open-source: इसका सोर्स कोड open-source है, जिसे कोई भी developer कस्टमाइज़ कर सकता है।
Lightweight and fast - यह कम RAM और CPU वाले डिवाइसेज़ पर भी अच्छे से काम करता है।
Diverse hardware support - यह कई अलग-अलग हार्डवेयर कॉन्फ़िगरेशन पर चल सकता है।
Interactive UI - इसका UI आकर्षक और उपयोगकर्ता के अनुकूल (User-Friendly) है।
अगर आप android application बनाना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित tools की जरूरत होगी:
यह Google द्वारा ऑफ़िशियली सपोर्टेड Integrated Development Environment (IDE) है, जिसमें एप्लिकेशन डेवलपमेंट के लिए सभी ज़रूरी टूल्स उपलब्ध होते हैं।
Java: पहले android app development के लिए मुख्य भाषा थी।
Kotlin: अब यह android की ऑफिशियल लैंग्वेज बन चुकी है और अधिक simple और powerful है।
XML: UI डिज़ाइन के लिए XML का उपयोग किया जाता है।
इसमें वे सभी टूल्स होते हैं जो एंड्रॉइड ऐप डेवलपमेंट के लिए जरूरी होते हैं।
इसमें Emulator, Debugger, Libraries, और कई अन्य development tools शामिल होते हैं।
यह एक built system है, जो आपके project को manage और compile करने में मदद करता है।
यह सभी डिपेंडेंसीज़ (Dependencies) को हैंडल करता है।
Android architecture पांच मुख्य layers में विभाजित होता है:
Linux Kernel: यह सबसे निचली परत (Layer) होती है, जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच interaction को manage करती है।
Hardware Abstraction Layer (HAL): यह हार्डवेयर को सॉफ्टवेयर से जोड़ने का काम करता है।
Android Runtime (ART): यह सभी android application को run करने के लिए जरूरी होता है।
Application Framework: यह APIs और लाइब्रेरीज़ का सेट होता है, जिसका उपयोग app development में किया जाता है।
Applications Layer: इसमें वे सभी application आते हैं, जो user interface के रूप में काम करते हैं, जैसे - फ़ोन, मैसेजिंग, ब्राउज़र आदि।
जब आप कोई एंड्रॉइड एप्लिकेशन बनाते हैं, तो उसका प्रोजेक्ट स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार होता है:
manifests → इसमें AndroidManifest.xml file होती है, जो app की बेसिक जानकारी (Permissions, Activities, Services आदि) को define करती है।
java → इसमें application का सारा java या kolin code लिखा जाता है।
res → इसमें XML files (Layouts, Drawables, Colors, Strings आदि) होती हैं।
Gradle Scripts → यह project को बिल्ड और मैनेज करने के लिए होता है।
एक android application निम्नलिखित मुख्य components से मिलकर बना होता है:
यह application की UI को manage करता है।
हर स्क्रीन एक Activity होती है।
मुख्य Activity को MainActivity.java या MainActivity.kt कहा जाता है।
यह background में चलने वाले process होते हैं, जैसे म्यूजिक प्लेयर, डाउनलोडिंग आदि।
Example: Foreground Service और Background Service
यह system या अन्य apps द्वारा भेजे गए events को recieve करता है।
उदाहरण: जब बैटरी लो हो, नेटवर्क कनेक्शन बदले आदि।
यह data sharing के लिए उपयोग किया जाता है।
उदाहरण: Contact List, File Storage आदि।
यह एक app के विभिन्न components के बीच data पास करने के लिए उपयोग किया जाता है।
यह दो प्रकार के होते हैं:
Explicit Intent: एक Activity से दूसरी Activity को खोलने के लिए।
Implicit Intent: किसी अन्य ऐप के फीचर्स को एक्सेस करने के लिए (जैसे - कैमरा ओपन करना)।
Android application के UI design के लिए निम्नलिखित concepts का उपयोग किया जाता है:
UI डिज़ाइन के लिए XML files का उपयोग किया जाता है।
Example:
<TextView android:layout_width="wrap_content" android:layout_height="wrap_content" android:text="Hello Android!" />
Views: स्क्रीन के एलिमेंट्स (Button, TextView, ImageView आदि)।
ViewGroups: Views को होल्ड करने वाले कंटेनर (LinearLayout, RelativeLayout, ConstraintLayout आदि)।
Android में डेटा को स्टोर करने के लिए कई तरीके उपलब्ध हैं:
Shared Preferences: छोटी मात्रा में डेटा स्टोर करने के लिए।
SQLite Database: ऑफलाइन डेटा स्टोर करने के लिए।
Room Database: SQLite का बेहतर वर्ज़न।
Firebase Database: real-time क्लाउड स्टोरेज के लिए।
Internal & External Storage: files स्टोर करने के लिए।
Logcat: Error और log मैसेज को चेक करने के लिए।
Debugging Tools: ब्रेकपॉइंट्स सेट करके कोड को स्टेप बाय स्टेप जांचने के लिए।
Emulator और Physical Device: app को वर्चुअल और रियल devices पर टेस्ट करने के लिए।
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